सफलता के कदम
व्याख्यान का उद्देश्य:- 1. जीवन का लक्ष्य स्पष्ट हो। 2. दृढ़ संकल्पशक्ति पैदा हो तथा सकारात्मक लक्ष्य के लिए संकल्पित हो। 3. सकारात्मक चिन्तन जागृत हो। 4. अपनी आत्मशक्ति की ताकत पहचाने। 5. मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है, परन्तु कैसे? इसके सूत्र को जाने। व्याख्यान का क्रम:- ‘‘असफलता यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया।’’ संसार में प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में हर क्षेत्र में सफल होना चाहता है चाहे नौकरी हो या व्यापार, विद्यार्जन हो, प्रतियोगी परीक्षा हो, चाहे कोई कलाकार, संगीतकार, वैज्ञानिक, व्यवसायी हो या कृषक। लडक़ा हो या लडक़ी, विवाहित हो या अविवाहित, सभी सफलता चाहते हैं। लेकिन सफलता शेखचिल्लियों या ख्याली पुलाव पकाने वाले या कोरी कल्पनाओं में सोए रहकर सपने देखने वालों को नहीं मिलती। सफलता ब्याज चाहती है, सफलता को मूल्य देकर (पैसा नहीं) पाना होता है। यह सत्य है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है। लेकिन अपनी सफलता की कहानी लिखी जा सके इससे पहले कुछ सूत्रों को अपनाना होगा। दुनिया के सफलतम व्यक्तियों जिन्होंने अपने जीवन म